दीवाली

 

दीवाली, जिसे ‘दीपावली’ भी कहते हैं, एक हिन्दू त्योहार है जो हर साल भारत और अन्य देशों में मनाया जाता है। यह त्योहार विजय दशमी के बाद आता है और अक्टूबर से नवम्बर के बीच मनाया जाता है। दीवाली का मतलब होता है ‘दीपों की पंक्ति’। इस दिन लोग अपने घरों को रोशनी से भर देते हैं।

दीवाली का महत्व है क्योंकि इसे भगवान राम के अयोध्या लौटने के दिन मनाया जाता है। भगवान राम ने लंका के राक्षस राजा रावण को मारकर अपनी पत्नी सीता को वापस पाया था।

दीवाली के त्योहार में लोग अपने घरों को सजाते हैं, दीपक और मोमबत्तियों से सजाते हैं और अपने घरों के बाहर दीपों की रौशनी करते हैं। इसके अलावा, घर को सफाई करने और खास खाने पकाने की परंपरा भी होती है। लोग एक दूसरे को गिफ्ट देते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं।

दीवाली के दिन पूजा भी की जाती है। लोग भगवान गणेश और भगवती लक्ष्मी की पूजा करते हैं और उनकी कृपा की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।

दीवाली के दिन लोग आपसी मिलनसर करते हैं और दोस्ती का माहौल महसूस करते हैं। यह एक प्यार और खुशियों का मौका होता है जिसे लोग बड़े उत्साह से मनाते हैं।

इसके रूप में, दीवाली एक बहुत ही महत्वपूर्ण और खुशी का त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें परंपराओं और संयम के महत्व के बारे में याद दिलाता है।

प्रस्तावना: भारतीय समाज में दीपावली एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे की दीवाली, दीपोत्सव, दीपावली, या दीपावली. यह त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो अक्टूबर और नवम्बर के बीच आता है। दीपावली का मतलब होता है “दीपों की पंक्ति” और इसे प्रकाश के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है, लेकिन इसका आदर्श भव्यता, श्रद्धा, और खुशियों का है।

दीपावली का महत्व: दीपावली का महत्व भारतीय सांस्कृतिक धर्म में गहरा रूप से प्राकृतिक और आध्यात्मिक होता है। यह त्योहार भगवान राम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में भी मनाया जाता है, जब उन्होंने लंका के राक्षस राजा रावण को मारकर सीता माता को वापस पाया था। इस दिन, अयोध्या के लोगों ने अपने गेहूँ की तहनियों के साथ अपने घरों को रौशनी से भर दिया था, जिससे राम के आगमन का स्वागत किया गया।

इसके अलावा, दीपावली का महत्व आध्यात्मिक रूप से भी होता है। इसे दीपों की रौशनी के माध्यम से अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का संकेत माना जाता है, जिससे मनुष्य का आत्मविकास होता है और उसके आत्मा को आत्मा के सच्चे रूप से पहचानने का संकेत मिलता है।

दीपावली की तैयारियाँ: दीपावली की तैयारियाँ घरों में धूमधाम से की जाती हैं। घरों को सजाने-सवरने की तैयारियों में लोग नए कपड़े पहनते हैं और अपने घरों को सफाई से भर देते हैं। घर के बाहर और अंदर दीपक जलाए जाते हैं, जिन्हें दिया भी कहा जाता है। घर की सजावट में रंगों का खास ध्यान दिया जाता है, और घर के आस-पास फूलों के गुच्छे लगाए जाते हैं।

दीपावली के त्योहार का आगाज: दीपावली के त्योहार का आगाज धनतेरस के दिन होता है, जो कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन लोग विशेष रूप से धन-लक्ष्मी की पूजा करते हैं और नए धन की प्राप्ति की कामना करते हैं। इसके बाद, छोटे-छोटे दीपक और आरती के दिये जलाए जाते हैं।

दीपावली के मुख्य दिन: दीपावली का मुख्य दिन अमावस्या के दिन होता है। इस दिन, लोग अपने घरों को खूबसूरती से सजाते हैं और अपने परिवार के सदस्यों के साथ विशेष रूप से रात्रि का खाना खाते हैं। घर की सजावट में रंगीन रंगों का उपयोग किया जाता है और घर के आस-पास दीपक जलाए जाते हैं। यह दीपक रात के अंधकार को दूर करने के रूप में होते हैं।

दीपावली की शुभकामनाएं और उपहार: इस दिन, लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को शुभकामनाएं देते हैं और उपहार देते हैं। उपहार विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे कि कला-संग्रहण, धन के सिक्के, सोने के आभूषण, और मिठाई।

समापन: दीपावली एक प्रेम, आदर्श, और सौभाग्य का प्रतीक है। यह एक मौका है जब परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का अवसर मिलता है और आपसी सजीव संबंधों को मजबूती से निभाने का मौका प्राप्त होता है। इसके साथ ही, यह त्योहार आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ हमारे जीवन में रोशनी और पॉजिटिविटी का प्रतीक होता है। इसलिए, हमें इसे उत्सव और आदर के साथ मनाना चाहिए और इसका सही मायने में आनंद उठाना चाहिए।

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