चिंताओं का बोझ

चिंताओं का बोझ एक विद्वान ने कहा था- जो जहाज बंदरगाह से चलने के लिये तैयार खड़ा हो उसमें यदि जरा भी सोचने की बुद्धि हो तो वह बंदरगाह से एक इंच भी आगे न जाये। वह तो सागर से उठती हुई ऊंची लहरों को देखकर ही डर जाता, उसके मन में यह विचार आता … Read more

रोगों की जड़ कहां है

रोगों की जड़ कहां है बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपने मन में कल्पना के महल बसा रखे हैं। बस उन्हीं के सहारे वे अपने-आपको बड़ा समझने लगते हैं और ऊंची-ऊंची बातें करने लगते हैं। आप जिन बातों से डरते हैं, अनजाने में उन्हीं का शिकार हो जाते हैं, इसी से वे बातें अपनी … Read more

जो सोचो वो पाओ

जो सोचो वो पाओ आज का मनुष्य चांद-सितारों को पाने के सपने देखता है। कोई लखपति, करोड़पति बनने के सपने देख रहा है। कोई प्रेम में सफल होने के सपने देख रहा है। कोई बच्चों की शादी-विवाह के सपने देखता है। जिधर देखें उधर ही आपको सपने ही सपने नजर आएंगे। मगर देखना तो यह … Read more

व्यक्ति का परम धर्म

व्यक्ति का परम धर्म घर में पुत्र जब बड़ा हो जाता है, तो संसार चलाने के लिए विवाह करते हैं। नेमिनाथ भी घर वालों के कहे अनुसार विवाह करने के लिए गए। जब बारात सज-धजकर तोरण के पास पहुँची तो देखा कि सैकड़ों पशु बँधे करुण क्रन्दन कर रहे हैं। वह दृश्य बड़ा ही हृदय … Read more

प्यादे से फरजी भयो 

प्यादे से फरजी भयो प्रसिद्ध कहावत है-‘प्यादे से फरजी भयो, टेढ़ो-टेढ़ो जाय’। यानी छोटे मन वाले व्यक्ति को जब कोई बड़ा पद मिल जाता है, तो वह अहंकार में आकर अकरणीय कार्य कर बैठता है। विरोचन पुत्र बलि की कथा इससे भी निराली है। बलि मनुष्य जन्म में बड़ा ही जुआरी और वेश्यागामी था। अपनी … Read more

तेनाली राम 

तेनाली राम विजयनगर सम्राट कृष्णदेव राय के दरबार में एक विद्वान, विदूषक, मित्र व सलाहकार व्यक्ति था तेनालीराम महाराज ने एक दिन किसी बात से नाराज होकर उसे अपने दरबार से निकाल दिया। रूठकर गया तेनालीराम कई दिनों तक न तो लौटा और न ही पता चला कि वह कहाँ चला गया है। राजा ने … Read more